हिमाचल का इतिहास
अभी तक के देश के इतिहास में हिमाचल का प्रमुख स्थान रहा है| शिवालिक तथा हिमालय की पहाड़ियों में पाषाण युग के बहुत से अवशेष
अभी तक के देश के इतिहास में हिमाचल का प्रमुख स्थान रहा है| शिवालिक तथा हिमालय की पहाड़ियों में पाषाण युग के बहुत से अवशेष
गिरी जल विद्युत् परियोजना : गिरी जल विद्युत् (रेणुका बाँध ) जलाल और गिरी नदियों में मिलान स्थल ददाहू के निकट स्थित है | चमेरा
हिमाचल में ‘दुम्ह’ राजाओ के शासन काल में बेगार, भूमिकर , भ्रष्ट अधिकारियों को हटाने हेतु किया जाता था| जनता द्वारा ऐसे असहयोग आंदोलन सन
नाथपा – झाकड़ी जल विद्युत परियोजना: यह परियोजना किन्नौर जिले में सतलुज नदी पर स्थित है | इसकी उत्पादन क्षमता 1020 मेगावाट है | भाभा
कश्मीर के राजा गुलाब सिंह के साथ मार्च, 1946 ई. में अंग्रेजों ने अमृतसर की सन्धि की, जिसके अनुसार अंग्रेजों के रवि और सिंध के
10 फरवरी, 1846 को साब्रओ की लड़ाई में सिख अंग्रेज से पराजित हुए | 1814 ई. में अंग्रेज और गोरखों के बीच युद्ध के पश्चात
प्रजामण्डल के प्रतिनिधिओं और राजाओं का सम्मेलन बघात के राजा दुर्गा सिंह की अध्यक्षता में 26 से 28 जनवरी, 1948 को सोलन के दरबार हाल
॰ जून, 1939 को शिमला पहाड़ी राज्यों के लोगो के प्रतिनिधियो की शिमला में एक सभा हुई जिसमे राजाओं और राणाओं की गुप्त गतिविधियों को
॰ वर्तमान हिमाचल प्रदेश की प्रशासनिक और राजनीतिक सत्ता यद्पि स्वतंत्रता के बाद अस्तित्व में आयी है | परन्तु यह क्षेत्र भारत के स्वतंत्रता के
हिमाचल प्रदेश के इतिहास का यह सबसे बड़ा दुखद सत्य है की कोई भी एक बड़ा राज्य लम्बे समय तक क्षेत्र में स्थापित नहीं हो
हिमाचल प्रदेश के प्राचीन राज्यों में काँगड़ा, कुल्लू , रामपुर-बुशहर और लाहौल-स्पीति के नाम प्रमुख है । इनमे से किसी राज्य में राजा, किसी में