हिमाचल प्रदेश का इतिहास,1857 की क्रांति

॰ वर्तमान हिमाचल प्रदेश की प्रशासनिक और राजनीतिक सत्ता यद्पि स्वतंत्रता के बाद अस्तित्व में आयी है | परन्तु यह क्षेत्र भारत के स्वतंत्रता के इतिहास में अन्य क्षेत्र से पीछे नहीं रहा है |

॰ मेरठ, कानपुर, लखनऊ, ग्वालियर में जो अंग्रेजों के प्रति विद्रोह फैला उसका प्रभाव पहाड़ों पर भी पड़ा | 9 मई, 1857 को मेरठ व् दिल्ली से होती हुयी विद्रोह की सुचना 13 मई 1857 को शिमला पहुंची |
॰ शिमला के निकट जतोग में स्थित नासिरी सेना ने आन्दोलनकारिओं से कन्धा मिलाने के लिए अम्बाला की ओर कूच किया |
॰ यह सुचना जब कसौली पहुंची तो वहाँ भी अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठा लिए गए | यधपि कसौली में अंग्रेजी सेना संख्या में भारतीयों से कही अधिक थी तथापि भारतीयों ने वहां कोषागार पर कब्ज़ा कर लिया और केप्टन ब्लैककॉल को भगा दिया |

॰ उस समय शिमला की रियासतों में अंग्रेजी अधिकारी व् सेना सेना तैनात थी | सिखों से युद्ध के कारण पहले ही इनकी स्थिति चिंताजनक हो चुकी थी | ऐसी परिस्थितियों में भी रामपुर बूशहर, कुल्लू तथा काँगड़ा रियासतों ने विद्रोह करने का साहस दिखाया |
॰अंग्रेजों द्वारा प्रदत 6 नवम्बर 1815 की सनद के अनुसार रामपुर बुशहर का बहुत सा भाग या तो अंग्रेजों ने हथिया लिया था या दूसरी रियासतों में मिला लिया गया था | उसे अंग्रेजी सेना के व्यय के लिए 15000 रुपये प्रति वर्ष भी देना पड़ता है |

॰ 1857 में राजा ने उपयुक्त अवसर जान कर सेना का खर्च देना बंद कर दिया और उसे बाहर खदेड़ने का प्रयास किया | लॉर्ड विलियम हे , एजेंट हिल स्टेट ने राजा के विरुद्ध सेना भेजनी चाही किन्तु साहस न कर सका | अतः बुशहर स्वतंत्र हो गया |
॰ दूसरी रियासत कुल्लू में राजा प्रताप सिंह सिखों के साथ युद्ध के बाद सिराज की और भाग गया था | वही उसने पुनः अपनी शक्ति को संगठित किया | 1857 की क्रांति के समय प्रताप सिंह ने सिराज के नेगी की सहायता से विद्रोह कर दिया | किन्तु प्रताप सिंह का विद्रोह अधिक देर न टिक सका |

॰ केवल तीन दिनों के भीतर ही प्रताप सिंह तथा वीर सिंह को पकड़ लिया गया एवं 3 अगस्त , 1857 को जालन्धर से कुछ क्रांतिकारी सतलुज पार करके नालागढ़ पहुंचे और वहाँ धावा बोलकर कोषागार को लूट लिया |
उसके पश्चात् वे सैनिक पहाड़ों को छोड़कर दिल्ली की ओर बढे |
॰ नालागढ़ के विद्रोह को दबाने के लिए शिमला से डिप्टी कमीशन विलियम हेय ने कैप्टेन ब्रिगज और बग़ल के मियां जयसिंह को भेजा | 20 जून तक नालागढ़ में स्थित पर नियंत्रण पा लिया गया |

॰ 1857 की क्रांति में काँगड़ा, चम्बा और मंडी के लोगो ने कोई विशेष उत्साह नहीं दिखाया | दूसरे इन स्थानों पर अंग्रेज भी पहले ही चौकन्ने हो गए और उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए काँगड़ा किले को अपने अधिकार में लेना आवश्यक समझा |
॰ परन्तु, कुल्लू के एक प्रताप सिंह, जो अपने आप को कुल्लू के राजा किशन सिंह के पुत्र कहता था, ने वहाँ के स्थानीय लोगो को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए उकसाया |
॰ वह पत्र लिखकर यह भी सिद्ध करने के प्रयास करता रहा की वही कुल्लू की राजगद्दी का हकदार है | उसने 16
मई, 1857 से सारे सिराज का दौरा करके जान साधारण में आजादी की भावना जागृत की और लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठाने के लिए प्रेरित किया |

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